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कुछ यादों की डायरी : अलविदा 2021

अलविदा 2021..!


अलविदा तुझको क्या कहूँ ऐ दिसम्बर! मेरा तो हर दिन ही मुझसे विदा होता है...!

तो डायरी हम इस अंग्रेजी वर्ष के अंतिम माह के अंतिम दिन पर आ खड़े हैं। वैसे भी तुम्हें पता है कि मैं तो हिंदी महीनों को मानने वाला हूँ, तो मेरा नया वर्ष 1 जनवरी के बजाए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को होगा, जिसके विषय में मैंने अपने सभी सनातनी मित्रों-बन्धुओ को आगाह भी किया हुआ था।

देखो एक और साल चला जा रहा है, हमने क्या पाया क्या खोया ये देखना भी मुश्किल है। अगर हमने कुछ पाया भी तो कुछ खोया ही होगा, मगर मुद्दे की बात ये है कि सुकून पाया क्या?

हाँ अब मैं बौद्धिक स्तर पर भी थोड़ा इवॉल्व हुआ हूँ, अब मुझे अपनी बात कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं होती, मुझे पता है इस संसार में सब नश्वर है फिर क्यों न बस वही करें जिसमें सुकून हो, जिससे मेरे आराध्य महायोगी भोलेनाथ महाकाल प्रसन्न हों।

हर वर्ष कुछ न कुछ खुशियां तो कुछ गम के दाग दे जाता है, 2021 तुम भी किसी से अलग नहीं हो। हर साल वही बदलता जाता है, अब जो हाल बदल से वही सबसे ठीक है।

बाकी जाना सबको एक दिन है ही, तुम भी जाओ, पर मेरी आँखें नम नहीं है, क्योंकि मुझे पता है कि मुझे क्या छोड़ना और क्या सहेजकर रखना है। मुझे किसी की संस्कृति से समस्या नहीं है अपितु अपनी सनातन संस्कृति पर गर्व है। 

लोग पता नहीं कैसे इतने अधिक इमोशनल हो जाते हैं, जबकि सबको पता है दिन हर रोज बदलता है, तुम भी तो बस दिनों के समूह मात्र थे 2021, हर किसी का जाना तय है तो फिर किसी के जाने का कैसा शोक...!

है हृदय में भाव यही, निज जीवन का दिन प्रतिदिन उद्गार करे
उत्साह भरे मन में चढ़े खुशियों की श्रेणियां, दुख सभी स्वीकार करे
जिनसे जुड़े रहें हम अब तक, बंधन कभी शिथिल हो न भावों का
हम खड़े रह सके सत्य को लिए कंटक सम्मुख, असत्य का प्रतिकार करें।



अलविदा 2021...! 


राधे राधे🥰🙏

#डायरी

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